झालावाड़: राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित मालीपुरा गांव के ग्रामीणों ने अपनी ग्राम पंचायत को झालरापाटन नगर पालिका में शामिल किए जाने का कड़ा विरोध किया है। ग्रामीणों ने इस संबंध में कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। झालावाड़: मालीपुरा गांव के ग्रामीणों का नगर पालिका में शामिल होने का विरोध
विरोध का कारण
ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में उनका गांव गोविंदपुरा पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जो मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर है। यहां ग्राम विकास और पंचायती राज योजनाओं का बजट गांव के विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है, और मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है।
हालांकि, अगर उनके गांव को झालरापाटन नगर पालिका में शामिल किया जाता है, तो उन्हें छोटे-मोटे काम के लिए भी 6 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा, जिससे उन्हें असुविधा होगी।
विकास कार्यों पर असर
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि हाल ही में झालरापाटन पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने ग्राम पंचायत को पट्टा बुक और अन्य दस्तावेज पंचायत समिति में जमा करने के आदेश दिए हैं। ग्रामीणों को डर है कि इस कदम से उन्हें भविष्य में किसी भी विकास योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
इस मामले में गोविंदपुरा की सरपंच सोहनी बाई ने भी अपना समर्थन देते हुए इस संबंध में पत्र लिखा है। बड़ी संख्या में ग्रामीण और वार्ड पंच इस मामले में जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह मामला दिखाता है कि स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों और प्रशासनिक ढांचे में बदलाव का सीधा असर आम लोगों के जीवन पर पड़ता है। ऐसे में प्रशासन को ग्रामीणों की चिंताओं को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लेना चाहिए।
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